निगम बजट पर हुई मैराथन बहस

  
Last Updated:  April 5, 2025 " 04:14 pm"

देर रात 8:30 तक चला निगम परिषद सम्मेलन।

नेता प्रतिपक्ष ने बजट प्रावधानों को लेकर की सत्तापक्ष की घेराबंदी।

सत्तापक्ष के वरिष्ठ पार्षदों ने नेता प्रतिपक्ष के आरोपों का दिया जवाब।

महापौर भार्गव ने वन नेशन वन इलेक्शन पर की विस्तार से चर्चा।

इंदौर देश का सबसे पहला नगर निगम, जिसने वन नेशन – वन इलेक्शन के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया।

शहर हित में की गई सार्थक चर्चा के लिए कोई समय सीमा नहीं होती- महापौर।

इंदौर : नगर निगम परिषद का बजट सम्मेलन शुक्रवार को सभापति मुन्नालाल यादव की अध्यक्षता में सुबह 11 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक चला। इस दौरान पक्ष – विपक्ष के पार्षदों ने नए वित्तीय वर्ष के बजट प्रावधान और शहर हित से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी के साथ अपनी राय रखी।इस दौरान कई बार गहमागहमी, हंगामें और आरोप – प्रत्यारोप की स्थिति भी बनीं।अंततः लंबी बहस के बाद 08 हजार करोड़ से अधिक का बजट बहुमत के आधार पर पारित कर दिया गया। भ्रष्टाचार पर की घेराबंदी। निगम बजट पर अपनी बात रखते हुए नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने फर्जी बिल घोटाले सहित अन्य घोटालों को लेकर सत्तापक्ष की घेराबंदी की।उनका कहना था कि 02 हजार करोड़ रुपए का फर्जी बिल घोटाला हो गया। जनता की गाढ़ी कमाई की बंदरबांट की गई पर आजतक किसी दोषी व्यक्ति के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया।सारा शहर खुदा पड़ा है। किसी काम की कोई समय सीमा तय नहीं है। उन्होंने आत्मनिर्भर इंदौर के महापौर के दावे को जुमला बताते हुए कहा कि 1000 करोड़ रुपए की राजस्व वसूली का ढोल पीटा जा रहा है लेकिन ठेकेदारों को काम का भुगतान नहीं हो पा रहा है। निगम के ई – पोर्टल के 01 अप्रैल से शुरू होने की बात कही जा रही थी पर उसके कहीं अते – पते नहीं है। अब कहा जा रहा है की दो माह और लगेंगे।मास्टर प्लान की 23 सड़कों के अलावा 10 नई सड़कों के निर्माण के प्रावधान पर तंज कसते हुए चिंटू चौकसे ने कहा कि जो सड़कें पहले से निर्माणाधीन हैं, वहीं पूरी नहीं हो पा रही हैं।ऐसे में नई सड़कों का निर्माण कब तक हो पाएगा कहना मुश्किल है।उन्होंने नेहरू स्टेडियम व आसपास के क्षेत्र में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण पर कहा कि इसके पहले वहां नियमित खेलनेवाले खिलाड़ियों को वैकल्पिक स्थान दिलवाना चाहिए।चिंटू चौकसे ने नगर निगम के नए भवन के लिए 350 करोड़ रुपए लोन लेने के फैसले की भी आलोचना की। उनका कहना था कि इसकी बजाय हमें प्रदेश सरकार से निगम के हक का पैसा लेने का प्रयास करना चाहिए। चुंगी क्षतिपूर्ति राशि बढ़ाए जाने की मांग भी की जानी चाहिए। वार्डों में संजीवनी क्लीनिक शुरू नहीं होने की नेता प्रतिपक्ष की बात पर हंगामा हो गया। एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर ने चिंटू चौकसे की बात को गलत ठहराते हुए कहा कि उनके वार्ड में संजीवनी क्लीनिक संचालित है और लोगों को इलाज भी मिल रहा है। विपक्ष की ओर से फौजिया शेख अलीम ने भी अपनी बात रखते हुए बजट प्रावधानों पर सवाल खड़े किए। करबला मैदान वक्फ बोर्ड का होने और धोबी समाज द्वारा उसपर कब्जा किए जाने की बात पर भारी हंगामा हुआ। महापौर ने उनकी बात का खण्डन करते हुए कहा कि कर्बला मैदान की पूरी जमीन नगर निगम की है। रजक समाज के लोग वहां रहते हैं। विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए सत्तापक्ष के सचेतक कमल वाघेला, एमआईसी सदस्य निरंजन सिंह चौहान और राजेंद्र राठौर ने सिलसिलेवार ढंग से बीजेपी परिषद की उपलब्धियों को गिनाया। राजेश राठौर ने मास्टर प्लान की सड़कें, संजीवनी क्लीनिक, नेहरू स्टेडियम स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स,नेहरू पार्क स्थित स्वीमिंग पुल का नवनिर्माण और अटल खेल संकुल के स्वीमिंग पुल के जीर्णोद्धार की भी बात कही।

वन नेशन, वन इलेक्शन का समर्थन।

सम्मेलन में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” (एक राष्ट्र, एक चुनाव) नीति के समर्थन में विस्तार से चर्चा की। इसके समर्थन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। इस नीति के लागू होने से न केवल चुनावों पर होने वाले अत्यधिक व्यय में कमी आएगी, बल्कि समय की भी बचत होगी। साथ ही, देश लगातार चुनावी मोड में रहने से जो प्रशासनिक व विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है, उससे भी निजात मिलेगी। सदन ने इस नीति को लोकतांत्रिक मजबूती की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।वन नेशन वन इलेक्शन के समर्थन में प्रस्ताव पारित करने वाली इंदौर नगर निगम देश की पहली नगर निगम है।

असंसदीय भाषा पर प्रतिबंध का प्रस्ताव।

सदन में मर्यादित व गरिमापूर्ण वातावरण सुनिश्चित करने हेतु, असंसदीय भाषा के प्रयोग पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया। यह प्रस्ताव इस दृष्टिकोण से रखा गया कि सदन की कार्यवाही में गरिमा बनी रहे और जनप्रतिनिधियों की भाषा आमजन के लिए अनुकरणीय हो।

सदन चलने की समय सीमा में हो संशोधन।

वर्तमान में नगर निगम परिषद के संचालन नियम 2005 के अनुसार, सदन की कार्यवाही शाम 6:00 बजे तक चलने का प्रावधान है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि जब देश की लोकसभा व राज्यसभा महत्वपूर्ण विषय पर निर्णय लेने के लिए देर रात तक चल सकती है, सुप्रीम कोर्ट आवश्यक निर्णय लेने हेतु रात्रि में खुल सकते हैं तो शहर हित में तथा नागरिकों के हित में निगम के विषयों पर देर तक चर्चा करने के लिए शहर सरकार की परिषद देर तक चलाई जा सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए नगर निगम परिषद के सभी सदस्यों पक्ष और विपक्ष द्वारा मिलकर सर्वानुमति से नियम में संशोधन कर समय-सीमा को हटाने के लिए राज्य शासन से अनुशंसा करने का प्रस्ताव पारित किया गया। अब आवश्यकता अनुसार सदन की कार्यवाही निर्धारित समय से आगे भी चल सकती है, जिससे महत्त्वपूर्ण विषयों पर सार्थक चर्चा सुनिश्चित हो सके।

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